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खरगोन के संत सियाराम बाबा का निधन, कहां और कब होगा अंतिम संस्कार?



मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का निधन हो गया है। उन्होंने सुबह 600 बजे भटियान बुजुर्ग आश्रम में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे। बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे और हमेशा रामायण का पाठ करते थे। 

बाबा के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है। उनका अंतिम संस्कार शाम 4 बजे भटयान के तट पर किया जाएगा। 

कौन थे संत सियाराम बाबा?

खरगोन के संत सियाराम बाबा का निधन, कहां और कब होगा अंतिम संस्कार?


संत सियाराम बाबा कहा रहते थे?

दरअसल संत सियाराम बाबा मध्य प्रदेश के खरगोन में नर्मदा नदी के किनारे स्थित भटयान आश्रम के संत थे और यहीं रहते थे। बाबा की वास्तविक उम्र कोई नहीं जानता। कुछ लोग कहते हैं कि बाबा 130 साल के थे। जबकि कुछ लोग कहते हैं कि वह 110 साल के थे। चमत्कार यह है कि इस उम्र में भी संत सियाराम बाबा बिना चश्मे के रोजाना 17 से 18 घंटे रामायण का पाठ करते थे। 

सिर्फ लंगोट में ही रहते थे

कहा जाता है कि इतनी उम्र होने के बावजूद वह अपना सारा काम खुद ही करते थे। और वह अपना खाना भी खुद ही बनाते थे। संत सियाराम बाबा हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। वह हमेशा रामचरित मानस का पाठ करते रहते थे। चाहे भीषण गर्मी हो, भीषण सर्दी हो या फिर भारी बारिश बाबा सिर्फ लंगोट में ही रहते थे। 

कहा जाता है कि उन्होंने साधना के माध्यम से अपने शरीर को मौसम के अनुकूल बना लिया था। बाबा के शरीर की बनावट को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह दिव्य पुरुष थे। देश विदेश से भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते थे। 

दान के रूपमे सिर्फ 10 रुपए?

सबसे खास बात यह है कि यह बाबा अपने भक्तों से दान के रूप में सिर्फ ₹10 लेते थे। अगर कोई भक्त ₹10 से ज्यादा दान करता था तो वह उसे ₹10 लेकर बाकी पैसा लौटा देते थे। सबसे खास बात यह है कि वह इन ₹10 को भी समाज कल्याण के लिए खर्च कर देते थे। 

दानमें आये रुपए का क्या उपयोग करते थे?

कहा जाता है कि संत सियाराम बाबा ने नर्मदा नदी के घाट की मरम्मत के लिए करीब 2 करोड़ 57 लाख दान किए थे। वहीं आश्रम में सियाराम बाबा के अंतिम दर्शन को लेकर लोगों की भीड़ लगी है। 

कहा चल रहा था इलाज?

कुछ दिनों पहले बाबा को निमोनिया की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद बाबा की इच्छा अनुसार उनका आश्रम में ही इलाज चिकित्सालय और कसरावद के डॉक्टर इलाज कर रहे थे। लेकिन डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके। आपको बता दें कि आज गीता जयंती है और साथ ही आज मोक्षदा एकादशी है। इस पवित्र और शुभ दिन पर बाबा का निधन हुआ है


(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
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