होली के दिन लोगों में एक बड़ा ही उत्साह देखने को मिलता है। देश के विभिन्न हिस्सों में होली मनाने के कई अनोखे तरीके हैं जिनका विशेष महत्व भी है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर खुशियों का जश्न मनाते हैं।
वहीं उत्तर प्रदेश के बनारस में होली का पर्व एक विशेष तरीके से मनाया जाता है। यहां होली से कुछ दिन पहले काशी विश्वनाथ मंदिर और मणि कणिका घाट पर चिता की राग से होली खेलते हैं। जिसे मसान होली के नाम से भी जाना जाता है।
मसान होली इस साल कब मनाई जा रही है और इसका धार्मिक महत्व क्या है?
इस साल मसान होली 11 मार्च को मनाई जा रही है। पौराणिक कथा अनुसार महादेव ने रंग भरी एकादशी के दिन मां पार्वती का गौना कराकर उन्हें काशी लाया था। उस समय उन्होंने सभी के साथ गुलाल से होली खेली थी। लेकिन भूत, प्रेत, जीव और जंतु इस पर्व को नहीं मना सके। इसके बाद उन्होंने रंगभरी एकादशी के अगले दिन ही मसान की होली खेली। माना जाता है कि तभी से चिता की भस्म से मसान होली मनाने की परंपरा शुरू हुई है।
मसान होली जिसे चिता भस्म होली के नाम से भी जानते हैं। एक विशेष खेल है जो वर्षों से चली आ रही है। यह होली भगवान शिव को समर्पित है और इसे मृत्यु पर विजय का प्रतीक मानते हैं।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने यमराज को पराजित करने के बाद चिता की राख से होली खेली थी। इसी कारण से हर साल इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं।
यह उत्सव दो दिनों तक चलता है। इसमें पहले दिन लोग चिता की राख एकत्रित करते हैं और दूसरे दिन उसी राग से होली खेलते हैं।
मसान की होली का आयोजन विशेष रूप से काशी के मणिकर्ण का घाट पर होता है। इस दिन साधु और शिव भक्त महादेव की पूजा अर्चना करते हैं। हवन का आयोजन किया जाता है। इसके बाद चिता की भस्म से होली खेलते हैं। इस दौरान मण करणी का घाट हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठता है। जो एक अद्भुत दृश्य है। इस पावन अवसर पर साधु और शिव भक्त एक दूसरे को चिता की भस्म लगाकर सुख समृद्धि और वैभव के साथ महादेव का आशीर्वाद देते हैं।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
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