इन दिनों पूरे देश में शादियों का सीज़न चल रहा है। इसी बीच मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से एक ऐसा विवाह कार्ड वायरल हो रहा है, जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस कार्ड को लेकर हर तरफ तारीफ हो रही है क्योंकि इसके माध्यम से दुल्हन के पिता ने समाज को एक बेहद खास संदेश दिया है।
झाबुआ जिले के कालाखूंट गांव के निवासी दवाला निनामा ने अपनी बेटी अमीषा की शादी के मौके पर एक नई मिसाल कायम की है। अमीषा की शादी 1 मई को गुजरात के नेहुल निवासी जयराजा मावी से होने जा रही है। शादी की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस शादी में सबसे खास बात यह है कि दवाला निनामा ने दहेज प्रथा को पूरी तरह नकार दिया है।
कंकोत्री में लिखा- "दापा मत लो, हमारी बेटी खुश रहेगी"
दवाला निनामा ने अपनी बेटी की शादी का निमंत्रण पत्र (कंकोत्री) इस तरह छपवाया है कि वह खुद समाज में एक सशक्त संदेश बन गया। उन्होंने कार्ड पर स्पष्ट शब्दों में लिखा है:
"मैं अपनी प्यारी बेटी की शादी में दहेज (दापा) नहीं लूंगा। आप भी ना लें। हमारी बेटी खुश रहेगी।"
उनके इस कदम की चारों ओर सराहना हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग इसे एक साहसी और प्रेरणादायक कदम बता रहे हैं।
क्या है दापा प्रथा?
'दापा' प्रथा आदिवासी बहुल इलाकों, खासकर झाबुआ जिले में प्रचलित है। इस परंपरा के अनुसार, शादी के वक्त वर पक्ष वधू पक्ष को एक तयशुदा राशि देता है। यह रकम 3 लाख से 5 लाख या उससे भी अधिक हो सकती है। इस रकम का इंतजाम अक्सर वर पक्ष को कर्ज लेकर करना पड़ता है, जिससे शादी के बाद भी परिवार पर कर्ज का बोझ बना रहता है।
कई बार इस कर्ज को चुकाने के लिए नवविवाहित जोड़े को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में शादी की खुशी बोझ बन जाती है। इसी समस्या को समझते हुए दवाला निनामा ने दापा प्रथा को नकारने का साहसी कदम उठाया है।
क्यों लिया दवाला निनामा ने यह फैसला?
दवाला निनामा का खुद का अनुभव भी काफी कष्टदायक रहा है। उनकी शादी वर्ष 2006 में हुई थी और उस समय उन्होंने दापा प्रथा के कारण 60,000 रुपए का कर्ज लिया था। उस कर्ज को चुकाने में उन्हें और उनकी पत्नी को कई वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा।
इसी अनुभव से सबक लेते हुए उन्होंने तय किया कि अपनी बेटी की शादी बिना किसी दहेज के करेंगे। साथ ही, अपने समाज में इस कुप्रथा के खिलाफ एक सशक्त संदेश भी देंगे।
समाज सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
दवाला निनामा का यह प्रयास न सिर्फ झाबुआ बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन गया है। उनका मानना है कि शादी एक पवित्र बंधन है, न कि आर्थिक लेन-देन का साधन।
इस तरह के छोटे-छोटे लेकिन ठोस प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उम्मीद है कि इस पहल से प्रेरित होकर और भी लोग दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को त्यागने के लिए आगे आएंगे।
निष्कर्ष
झाबुआ के दवाला निनामा ने दिखा दिया कि यदि इरादा मजबूत हो, तो एक व्यक्ति भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। उनकी बेटी की शादी दहेज के बिना होना एक प्रेरणादायक कहानी बन गई है। ऐसे प्रयासों की आज के समय में सख्त जरूरत है।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
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