સમાચાર WhatsApp પર મેળવવા માટે જોડાવ Join Now

Whatsapp Group Join Now
Telegram Group Join Now
instagram Group Join Now

सिंधु जल संधि का इतिहास क्या कहता है?



 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले से भारत में आक्रोश फैल गया है। इस हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े बताए जा रहे हैं, जिसके बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक हुई। जिसमें कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमें से मुख्य निर्णय पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करने का है। इसके अलावा अटारी बॉर्डर को भी बंद करने का फैसला लिया गया है।

सिंधु जल संधि का इतिहास क्या कहता है?

विश्व बैंक की मध्यस्थता से 19 सितम्बर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि अस्तित्व में आई। यह समझौता सिंधु नदी और इसकी छह नदियों: ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु चिनाब और झेलम के जल के बंटवारे के लिए किया गया था। समझौते के अनुसार, ब्यास, रावी और सतलुज नदियों का पानी भारत को आवंटित किया गया, जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया। इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान को कुल पानी का 80% और भारत को 20% पानी मिला। यह संधि 1947 में भारत के विभाजन के बाद उत्पन्न जल विवाद को सुलझाने के लिए शुरू की गई थी, जब पाकिस्तान सिंधु नदी के पानी पर निर्भर हो गया था।


यह विवाद 1952 से 1954 तक बढ़ता गया, जब पाकिस्तान ने भारत पर पानी रोकने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर अमेरिका और विश्व बैंक ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई। 1960 में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह संधि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी लागू रही। इससे पता चलता है कि दोनों देशों द्वारा इसका पालन किया गया।


पाकिस्तान ने समय-समय पर इस संधि के कार्यान्वयन पर आपत्तियां उठाई हैं। 1987-88 में भारत ने वर्बरेज़ परियोजना शुरू करने की योजना बनाई। लेकिन पाकिस्तान के विरोध के कारण इसे रोक दिया गया। पाकिस्तान ने 2005 में भारत की पग्लिहार बांध परियोजना पर भी आपत्ति जताई थी। लेकिन विश्व बैंक ने भारत को आगे बढ़ने की अनुमति दे दी। इस प्रकार भारत ने हमेशा संधि की शर्तों का पालन किया, लेकिन पाकिस्तान ने बार-बार छोटे-बड़े मामलों में बाधाएं उत्पन्न कीं।


सिंधु नदी बेसिन लगभग 1.12 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र पाकिस्तान, भारत, चीन और अफगानिस्तान में स्थित है। एक आंकड़े के अनुसार, सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्रों में लगभग 300 मिलियन लोग रहते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच दो बड़े युद्धों, कारगिल में सीमित युद्ध और हजारों बाधाओं के बावजूद यह संधि बची रही। यद्यपि इसका विरोध किया गया, फिर भी संधि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।


पुलवामा हमले के बाद ऐसा लग रहा था कि भारत सिंधु जल संधि को रद्द कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द करने का फैसला किया है। यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था और कृषि सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है।


इस संधि की समाप्ति के बाद पाकिस्तान को पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है। भारत का यह कदम पाकिस्तान को आतंकवाद को समर्थन देने की उसकी नीति के खिलाफ चेतावनी है।


(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
Whatsapp Group Join Now
Telegram Group Join Now
instagram Group Join Now
RRR

Post a Comment

Previous Post Next Post
Whatsapp ગ્રુપમાં જોડાવ